शनि-मंगल बनाते हैं इंजीनियर
Saturn-Mars make Engineers
प्रकाशन तिथि : मई, 2007
बहुधा फलित ज्योतिष में शनि, मंगल और राहु को दुष्ट, क्रूर आदि की संज्ञा दी है| इनकी युति को ‘बहद्बीज’ मानकर अत्यंत अशुभ बतलाया है, किंतु इंजीनियरिंग व्यवसाय में मंगल, शनि और राहु की विशेष भूमिका रहती है| इंजीनियरिंग व्यवसाय का विचार करने में शनि एवं मंगल की महत्ता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दिखलाई देती है :
1. मंगल के लग्नों (मेष, वृश्चिक) में शनि की स्थिति का विचार तथा दशम पर दृष्टि इंजीनियरिंग व्यवसाय के चयन में महती भूमिका निभाती है|
2. मंगल-शनि का दशम स्थान पर प्रभाव या दशम स्थान पर शनि की राशि जातक को इंजीनियरिंग से जोड़ती है|
3. शनि के लग्न पर मंगल का प्रभाव हो, तो मनुष्य इंजीनियरिंग व्यवसाय की ओर झुकता है|
4. यदि सूर्य, चंद्र लग्न में हों और शनि तथा मंगल दशम भाव में हों|
5. पंचम स्थान पर अथवा पंचमेश पर शनि एवं मंगल का प्रभाव हो|
6. मेष लग्न की कुण्डली में चतुर्थ में शनि एवं दशम में मंगल की स्थिति जातक को निश्चित ही इंजीनियरिंग व्यवसाय प्रधान कार्य क्षेत्र चुनने को प्रेरित करती है|
7. सिंह लग्न में मंगल एवं शनि की युति तथा चतुर्थ में गुरु की स्थिति इंजीनियरिंग व्यवसाय से जोड़ती है|
8. दशमेश के साथ मंगल की स्थिति तथा नवांश कुण्डली या लग्न में शनि एवं मंगल की युति या परस्पर दृष्टि इंजीनियर बनाती है|
9. दशम भाव या दशमेश का शनि, मंगल, गुरु से संबंध जातक को इंजीनियरिंग व्यवसाय में सफलता दिलाता है|
10. केतु पर शनि एवं मंगल का प्रभाव हो, तो जातक इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग व्यवसाय को चुनता है|
11. उच्चस्थ मंगल का शनि से राशि परिवर्तन एवं परस्पर दृष्टि जातक को इंजीनियर बनाती है|
12. गुरु की शनि पर दृष्टि, शनि की मंगल पर दृष्टि तथा मंगल की शनि पर दृष्टि जातक को इंजीनियरिंग व्यवसाय से जोड़ती है|
13. कन्या लग्न की कुण्डली में सप्तमेश एवं पराक्रमेश की युति तथा मंगल एवं शनि की परस्पर दृष्टि इंजीनियर बनाती है|
14. दशमेश पर मंगल, शनि एवं केतु का प्रभाव जातक को इंजीनियर बनाता है|
15. दशमेश पर मंगल, शनि एवं भाग्येश का प्रभाव जातक को इंजीनियरिंग से आजीविका दिलाता है|
16. मंगल एवं पराक्रमेश की युति तथा शनि एवं मंगल का दृष्टि विनिमय जातक को सफल इंजीनियर बना देता है|