Fast and Festivals (व्रत-पर्व) |

Dev Prabodhini Ekadashi (04 November, 2022)

25-October ,2022 | Comment 0 | gotoastro

Dev Prabodhini Ekadashi (04 November, 2022)

Devprabodhini Ekadashi
(04 November, 2022)

Kartik Shukla Ekadashi is celebrated as Dev Prabodhini Ekadashi. On this day Lord Vishnu wakes up after four months of sleep. There is a legend in this regard, that Lord Vishnu defeated the demon Shankhasur on Bhadrapada Shukla Ekadashi. To remove his fatigue, Lord Vishnu went to Kshirsagar and slept for four months and woke up on Kartik Shukla Ekadashi. Fasting on this day has special significance. If fasting is not possible, then fruit should be eaten at one time. After the Shodashopachar worship of Lord Vishnu in the night, pray to the Lord to wake up by chanting the following mantra with the auspicious sound of instruments like Ghanta, Shankh, Mridang etc.:
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पते।
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्।।
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ वाराह दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे।
हिरण्याक्षप्राणघातिन् त्रैलोक्ये मंगलं कुरु।।
After this, perform the aarti of Lord Vishnu and after offering flowers, pray with the following mantras:
इदं तु द्वादशी देव प्रबोधाय विनिर्मिता।
त्वयैव सर्वलोकानां हितार्थं शेषयानि।
इदं व्रतं मया देव कृतं प्रीत्यै तव प्रभो।
न्यूनं सम्पूर्णतांयातु त्वत्प्रसादाज्जनार्दन।।
Night awakening should be done during this fast.

देवप्रबोधिनी एकादशी व्रत 
(04 नवम्बर, 2022)
कार्तिक शुक्ल एकादशी देव प्रबोधिनी एकादशी के रूप में मनायी जाती है। इस दिन भगवान् विष्णु चारमास शयन के पश्चात् जागते हैं। इस सम्बन्ध में एक कथा प्रचलित है, कि भगवान् विष्णु ने भाद्रपद शुक्ल एकादशी को शंखासुर नामक राक्षस को परास्त किया। उसकी थकान मिटाने के लिए भगवान् विष्णु क्षीरसागर में जाकर चार मास तक सोते रहे और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागे। इस दिन उपवास करने का विशेष महत्त्व है। यदि उपवास सम्भव न हो, तो एक समय फलाहार कर लेना चाहिए। रात्रि में भगवान् विष्णु की षोडशोपचार पूजा के पश्चात् घण्टा, शंख, मृदंग आदि वाद्यों की मांगलिक ध्वनि के साथ निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए प्रभु से जागने की प्रार्थना करें :
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पते।
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्।।
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ वाराह दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे।
हिरण्याक्षप्राणघातिन् त्रैलोक्ये मंगलं कुरु।।
इसके बाद भगवान् विष्णु की आरती करें तथा पुष्पांजलि अर्पण करके निम्नलिखित मन्त्रों से प्रार्थना करें :
इदं तु द्वादशी देव प्रबोधाय विनिर्मिता।
त्वयैव सर्वलोकानां हितार्थं शेषयानि।
इदं व्रतं मया देव कृतं प्रीत्यै तव प्रभो।
न्यूनं सम्पूर्णतांयातु त्वत्प्रसादाज्जनार्दन।।
इस व्रत में रात्रि जागरण किया जाना चाहिए।

Recent Blogs

Trending Blogs

Related Blogs

Comments

Los Angeles

Ajay Dubey

Recent Comments