Fast and Festivals (व्रत-पर्व) |

Worship of Fourth Navratra : Kushmanda

28-September ,2022 | Comment 0 | gotoastro

Worship of Fourth Navratra : Kushmanda

Worship of Goddess Kushmanda on the fourth day of Navratri


According to the scriptures, the fourth form of Goddess Durga is worshiped in the form of Kushmanda Devi and Shri Mahalakshmi. On this day the mind of the seeker is situated in the Anahata Chakra, so on this day he should be engaged in the work of worship and worship keeping in mind the form of Goddess Kushmanda with a very pure and calm mind. The threefold heat-rich world in whose abdomen is situated, she is called Bhagwati 'Kushmanda'.
Worship of Mother Kushmanda is going to free man from half-diseases and lead him towards happiness, prosperity and progress. By this all the diseases and sorrows of the devotees are destroyed. By their devotion, age, fame, strength and health increase and one attains the supreme position. This goddess is the destroyer of great fear, pacifying great distress and a real idol of compassion.

नवरात्र में चौथे दिन देवी कूष्माण्डा का पूजन

शास्त्रों के अनुसार माता दुर्गा का चौथा स्वरूप कूष्माण्डा देवी और श्रीमहालक्ष्मी के रूप में पूजन किया जाता है। इस दिन साधक का मन अनाहत चक्र में अवस्थित होता है, अतः इस दिन उसे अत्यन्त पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगाना चाहिए। त्रिविध ताप युक्त संसार जिनके उदर में स्थित हैं, वे भगवती ‘कूष्माण्डा’ कहलाती हैं।
माता कूष्माण्डा की उपासना मनुष्य को आधियों-व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है। इससे भक्तों के समस्त रोग-शोक विनष्ट हो जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है और परम पद की प्राप्ति होती है। यह देवी महाभय का नाश करने वाली, महासंकट को शान्त करने वाली और करुणा की साक्षात् मूर्ति हैं।

Recent Blogs

Trending Blogs

Related Blogs

Comments

Los Angeles

Ajay Dubey

Recent Comments