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कैसे बचें ऩजरदोष से

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कैसे बचें ऩजरदोष से

कैसे बचें ऩजरदोष से?
How to Protect from Nazar Dosha?
प्रकाशन तिथि - मार्च, 2007

‘नज़र लगना’ बड़ी ही लोकप्रिय उक्ति है| नज़र लगने का अर्थ है, कुदृष्टि से पीड़ित होना| आधुनिक युग में तथाकथित विद्वान् नज़र लगने को ढोंग के रूप में देखते हैं, लेकिन जब कभी वे इससे पीड़ित होते हैं, तभी उन्हें नज़र लगने का अहसास होता है| आधुनिक डॉक्टर नज़र लगने को मानने लगे हैं| शिकागो (अमेरिका) के डॉ. मूर ने इस सम्बन्ध में शोधपरक कार्य किया है| उनका मानना है कि आँखों में चुम्बकीय शक्ति होती है, जिसके द्वारा जहॉं एक ओर सम्मोहन किया जा सकता है, वहीं दूसरी ओर किसी के प्रति ईर्ष्या भाव उत्पन्न होने पर उसकी चुम्बकीय शक्ति उस व्यक्ति को हानि पहुँचा सकती है| उन्होंने आशीर्वाद एवं शुभकामनाओं को भी आँखों की चुम्बकीय शक्ति के माध्यम से समझाने का प्रयास किया है| 

नज़र किसे लगती है?
नज़र सजीव एवं निर्जीव दोनों को ही लग सकती है| सजीव में बच्चे, स्त्री-पुरुष, पशु-पक्षी, वृक्ष तथा निर्जीव  में घर, दुकान, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, वाहन, कलात्मक एवं सुन्दर वस्तुएँ इत्यादि नज़र से पीड़ित हो सकते हैं| बच्चे नज़र से अधिक एवं शीघ्र पीड़ित होते हैं, क्योंकि बच्चों की प्राण शक्ति (चुम्बकीय) निर्बल होती है| इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति पैरों की ओर (पगपायला) से उत्पन्न हुआ हो उन्हें शीघ्र नज़र लगती है|

नज़र लगने के ज्योतिषीय एवं वास्तुशास्त्रीय कारण
1. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्म-शक्ति का कारक ग्रह माना गया है| लग्न शरीर का प्रतिनिधि भाव है| जिस जातक की कुण्डली में सूर्य एवं लग्न दोनों पीड़ित (निर्बल) हों, उन जातकों को शीघ्र नज़र लगने का भय रहता है| 
2. लग्न, लग्नेश, चन्द्र-लग्न एवं चन्द्र-लग्नेश यदि अशुभ ग्रहों अथवा भावेशों से प्रभावित हों, चन्द्रमा एवं लग्नेश अशुभ भावों (6, 8, 12) में हों, तो जातक को शीघ्र नज़र लगने का भय रहता है| 
3. जिन जातकों की कुण्डली में लग्न एवं लग्नेश पर राहु का प्रभाव हो, उन्हें शीघ्र नज़र लगने का भय होता है|
4. जिन जातकों का लग्न निर्बल हो, तो अशुभ राहु या इससे युति करने वाले ग्रह की दशा-अन्तर्दशा में नज़र लगने का भय होता है| 
5. जिन जातकों की कुण्डली में अष्टम भाव में ग्रहणयोग, अमावस्या योग अथवा क्षीण चन्द्रमा या निर्बल बुध स्थित हो, तो उन्हें नज़र आदि दोषों से पीड़ित होना पड़ता है|
6. जिन जातकों की कुण्डली में लग्न अथवा लग्नेश गुलिक के प्रभाव में हों, उन्हें नज़र आदि दोषों से पीड़ित होना पड़ता है|
7. लग्नेश यदि अष्टम भाव के उपनक्षत्रेश से युत हो अथवा अष्टम भाव में स्थित ग्रह के नक्षत्र में स्थित हो, तो उसे नज़र आदि दोषों से पीड़ित होना पड़ता है|
8. लग्न अथवा लग्नेश पापकर्तरिदोष से पीड़ित हों और उन पर किसी शुभ ग्रह का प्रभाव नहीं हो, साथ ही सूर्य और चन्द्रमा निर्बल और पीड़ित हों, तो जातक को समय-समय पर नज़र आदि से पीड़ा मिलती है|
9. लग्नेश नवांश में षष्ठ, अष्टम या द्वादश भाव में स्थित हो, तो उसे नज़र आदि दोषों से मिलने वाले कष्टों को भ्ाुगतना पड़ता है|
10. जिन जातकों का चतुर्थ भाव पाप ग्रहों से पीड़ित होता है अथवा चतुर्थेश निर्बल होता है, ऐसे व्यक्तियों की अचल सम्पत्ति घर, वाहन आदि पर नज़र लगती है|
11. जिन भवनों का ईशान कोण, ब्रह्मस्थल एवं नैॠत्य कोण दोषयुक्त होता है, वे भवन नज़रदोष से अधिक पीड़ित होते हैं|
12. जिन खेतों का ईशान कोण कटा हुआ होता है अथवा वास्तु अनुरूप ढाल नहीं होता है, वे नज़र आदि दोषों से अधिक पीड़ित होते हैं|

कब लगती है नज़र?
जीवन में नज़र आदि अभिचार कर्मों से पीड़ा तभी मिलती है, जब व्यक्ति अश्ाुभ दशाओं के  और अश्ाुभ गोचर के प्रभाव में चल रहा हो| सामान्यत: निम्नलिखित अवधियों में व्यक्ति नज़र आदि दोषों से पीड़ित रहता है :
1. षष्ठेश, अष्टमेश या द्वादशेश की जब दशा-अन्तर्दशा चल रही हो, तब जातक नज़र आदि दोषों के प्रभाव में शीघ्र आता है|
2. कुण्डली में यदि लग्नेश निर्बल हो, तो लग्नेश की दशा-अन्तर्दशा भी नज़रदोष से पीड़ा दे देती है| 
3. राहु अथवा केतु की दशा-अन्तर्दशा की समयावधि भी नज़रदोष की पीड़ा का समय हो सकता है|
4. जिस अवधि में सूर्य, चन्द्रमा, शनि, गुरु और राहु अश्ाुभ हों, उस समयावधि में व्यक्ति को नज़र आदि दोषों से पीड़ा मिल सकती है|

किसको नज़र नहीं लगती है?
1. जिन जातकों की कुण्डली में लग्न, लग्नेश एवं सूर्य बली स्थिति में हों, तो उनके अन्दर आत्म बल की अधिकता होने के कारण नज़र नहीं लगती है| 
2. लग्नेश लग्न में स्वगृही अथवा केन्द्र-त्रिकोण में बली स्थिति में हो, तो जातक में आत्मबल की प्रबलता होती है|
3. कुण्डली में चतुर्थ भाव यदि बली हो, तो जातक वैचारिक दृष्टि से परिपक्व होता है, वह किसी प्रकार के रोक-टोक या नज़र लगने वाली अन्य उक्तियों से मानसिक रूप से प्रभावित नहीं होता, अर्थात् नज़र कम लगती है|
4. जिन जातकों की कुण्डली में एक या अधिक पंचमहापुरुष योग हों, उन्हें नज़र नहीं लगती है|
5. जिन जातकों की कुण्डली में चन्द्रमा एवं बुध बली हों और उन पर किसी पाप ग्रह का प्रभाव नहीं हो, तो वे नज़रदोष से मुक्त रहते हैं|
6. जिन जातकों की कुण्डली में लग्न एवं लग्नेश गुलिक के प्रभाव से मुक्त हो, उन्हें नज़र आदि दोषों का सामना नहीं करना पड़ता है|
7. जो जातक शुभ भावेशों की दशा में चल रहे हैं, उन्हें नज़र आदि दोष से पीड़ित नहीं होना पड़ता है|
8. गोचर में यदि सूर्य, शनि, गुरु और राहु शुभ स्थिति में हो, तो उस समयावधि में जातक को नज़र आदि दोषों से मुक्ति मिल जाती है|

किसकी नज़र लगती है?
1. जिन जातकों की कुण्डली में सूर्य बली हो, साथ ही सूर्य पर शनि, राहु आदि अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो, तो उस व्यक्ति के अन्दर आत्म-शक्ति की प्रबलता होती है, परन्तु अशुभ प्रभाव के कारण उस व्यक्ति के अन्दर ईर्ष्या भाव उत्पन्न होता है, जिससे उस व्यक्ति की प्राण-शक्ति दूसरों को क्षति पहुँचाती है, अर्थात् उसकी नज़र लगती है|
2. जिन जातकों के द्वितीय भाव एवं द्वितीयेश पर शनि, राहु, मंगल एवं षष्ठेश आदि का अशुभ प्रभाव हो, उस व्यक्ति की वाणी (टोक) खराब होती है, अर्थात् उसकी नज़र अधिक लगती है|
3. जिस जातक की कुण्डली में सूर्य बली हो, साथ ही चतुर्थ भाव पर अशुभ ग्रहों (शनि, राहु आदि) का प्रभाव हो, तो ऐसे व्यक्ति की ईर्ष्या भावना के कारण शीघ्र नज़र लगती है|

नज़र कैसे लगती है?
किसी भी सुन्दर व्यक्ति अथवा वस्तु को टकटकी लगा कर देखने से नज़र लगने का भय होता है| किसी बच्चे अथवा व्यक्ति के हाव-भावों एवं क्रियाओं को आश्‍चर्यजनक रूप से देखना अथवा उनकी ऊपरी मन से बढ़ाई करना एवं आन्तरिक रूप से ईर्ष्या करने से नज़र लगती है|
सुन्दर मकान को, दुधारू पशु को तथा खड़ी फसल को ईर्ष्या भाव से देखने से नज़र लगती है|

नज़र के लक्षण
यदि व्यक्ति को नज़र लगे, तो उसका स्वास्थ्य प्रभावित होता है| आँखें एवं सिर भारी होने लगते हैंं| उसकी आँखों से पानी गिरता है एवं थकान होती है| रोगावस्था में औषधियों से लाभ नहीं मिलता| बच्चे रोते रहते हैं| दुग्ध अथवा खाना नहीं लेते हैं| उन्हें नींद भी नहीं आती है| 
मकान को नज़र लगने से उसमें दरार आ जाती है| पेड़ को नज़र लगने से वह सूखने लगता है एवं उसकी वृद्धि रुक जाती है| फसल को नज़र लगने से वह नष्टोन्मुख हो जाती है| वाहन को नज़र लगने से वह खराब हो जाता है अथवा दुर्घटना ग्रस्त हो जाता है| कार्यालय या दूकान को नज़र लगने से व्यवसाय में हानि होने लगती है| ऐसे कार्यालय या दूकान में एकाएक ग्राहक आने कम हो जाते हैं| 

नज़र उतारने के उपाय
1. बच्चे अथवा व्यक्ति को नज़र लगने पर नारायण कवच का पाठ करें|
2. नज़र लगने पर झाड़े से ‘भूत पिसाच निकट...’ से लेकर ‘संकट तै हनुमान छुड़ावै’ तक तथा ‘संकट कटे मिटे सब पीरा...’ से ‘... गुरु देव की नाईं’ तक हनूमान् चालीसा का पाठ करके झाड़ें|
3. राई, लाल मिर्च, नमक लेकर उसे वैश्‍वानर (अग्नि) पर लेकर उसके धूएँ से नज़र से पीड़ित व्यक्ति पर सात बार उसारना चाहिए|
4. घर के बुजुर्ग व्यक्ति का जूता लेकर पीड़ित व्यक्ति के ऊपर से 7, 11, 21 बार  घुमाकर जूते के तले पर कुछ थूक कर जमीन पर जोर से पटकना चाहिए| जूता घुमाते समय ‘ॐ रां राहवे नमः’ मंत्र का जप करना चाहिए|
5. शनिवार को हनूमान्‌जी के कंधों पर लगा सिंदूर नज़र लगे व्यक्ति के मस्तक पर लगाने से वह नज़रदोष से मुक्त हो जाता है|
6. नज़र लगे व्यक्ति के सिर के ऊपर से दूध तीन बार उसारकर उसे कुत्ते को पिला दें, ऐसा करने से नज़र उतर जाती है| यह क्रिया रविवार को दिन में, शनिवार को रात्रि में करें|
7. नज़र लगे व्यक्ति को दरवाजे के बीच बैठने के लिए कहें| फिर उस पर से सेंधा नमक और मिट्टी सात बार उतारकर बाहर फेंक आएँ, नज़र उतर जाएगी|
8. नज़र लगे व्यक्ति पर से फिटकरी उसारें| उसे बाएँ हाथ से कूटें, उसका चूर्ण कुएँ में या अन्यत्र बहते हुए जल में अथवा गहरे खड्डे में फेंक दें, इससे नज़र उतर जाती है|
9. यदि किसी की दूकान पर नज़र लग गई हो तो मंगलवार या शनिवार के दिन दूकान पर सात मिर्च और नीबू पिरोकर प्रवेश-द्वार पर लगाने से नज़र दूर हो जाती है|
17. घर के निकट वृक्ष की जड़ में शाम को थोड़ा-सा कच्चा दूध डाल दें| फिर गुलाब की अगरबत्ती जलाएँ| नज़र दोष नष्ट हो जाए|
18. जिस घर के मुख्य-द्वार के समीप श्‍वेतार्क का पौधा लगा हो, वहॉं ऊपरी बला, नज़र और तंत्र-मंत्र के अभिचार कर्म निष्फल होते हैं|

नज़र से कैसे बचें?
1. बच्चों को नज़र से बचाने के लिए काजल का टीका, इष्ट देव की भभूति, इष्ट देव का ताबीज आदि लगाने/पहनाने चाहिए|
2. बच्चों को गले में रुद्राक्ष की माला अथवा काला धागा अथवा इष्टदेव का लॉकेट पहनाना चाहिए| 
3. बड़ों को नज़र से बचने के लिए गले में रुद्राक्ष की माला अथवा इष्टदेव का ताबीज धारण करना चाहिए तथा मस्तक पर इष्टदेव की भभूति लगानी चाहिए| नित्य ईश वंदना अवश्य करें| हनूमान् चालीसा का पाठ नज़र से बचने का कारगर उपाय है|
4. नज़र से बचने के लिए लग्नेश को बली करना चाहिए| इस हेतु लग्नेश के मंत्र का जप एवं उससे संबंधित रत्न धारण करना चाहिए|
5. लग्न अथवा लग्नेश पर अश्ाुभ ग्रहों एवं अश्ाुभ भावेशों का प्रभाव है, तो उनसे संबंधित मंत्रों का जप करना चाहिए तथा उनसे संबंधित रुद्राक्षों को धारण करना चाहिए|
6. सूर्य और चन्द्रमा बली एवं अनुकूल होने पर नज़र दोष से मुक्ति मिल सकती है| इसके लिए एकमुखी और दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहिए तथा ‘आदित्यहृदयस्तोत्र’ एवं ‘चन्द्र-कवच’ का पाठ करना चाहिए|
7. मकान को नज़र से बचाने के लिए द्वार पर गणेशजी की प्रतिष्ठा करें| इसके अतिरिक्त काली हांडी, टायर आदि भी मुख्य दीवार पर टॉंगने से नज़र नहीं लगती|
8. घर को नज़र से बचाने के लिए ‘ज्योतिष सागर’ द्वारा तैयार ‘वास्तुदोषनाशक कवच’ कारगर उपाय है|
9. फसल को नज़र से बचाने के लिए खेत में काली हांडी लगाएँ| फसल के पकने के समय खेत में पूजा का जल ले जाकर छिड़कें तथा जब भी खेत पर रहें वहॉं ईश वंदना अवश्य करें|
नज़र लगना जीवन की ऐसी घटना है, जो कभी भी घट सकती है| ऐसी स्थिति में नज़र उतारने के उपायों के साथ-साथ नज़र से बचने के उपाय भी अवश्य कर लेने चाहिए| जो व्यक्ति निर्बल लग्नेश अथवा सूर्य और चन्द्रमा के प्रभाव में हैं अथवा अश्ाुभ भावेशों की दशा-अन्तर्दशा में चल रहे हैं अथवा अश्ाुभ गोचर के प्रभाव में हैं, उन्हें नजर से बचने के उपाय अवश्य कर लेने चाहिए|•




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