प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की माताजी श्रीमती हीराबा मोदी का निधन 30 दिसम्बर, 2022 को प्रात: 3:30 बजे यू.एन. मेहता अस्पताल, अहमदाबाद में हो गया। वे 100 वर्ष की थीं। मंगलवार 27 दिसम्बर को उन्हें देर रात सांस लेने में तकलीफ होने के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। निधन की खबर प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट के जरिए दी। इसके बाद उनका अन्तिम संस्कार लगभग 9:30 बजे गांधीनगर में सम्पन्न हुआ।
माँ के सन्दर्भ में अपनी भावना को अभिव्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा कि “शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम ... माँ में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है।”
18 जून को अपनी माँ हीराबा के जन्मदिवस पर उन्होंने एक ब्लॉग लिखा, जिसमें वे लिखते हैं “मेरी माँ, हीराबा आज 18 जून को अपने 100वें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं। यानि उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारम्भ हो रहा है। पिताजी आज होते, तो पिछले सप्ताह वे भी 100 वर्ष के हो गए होते। यानि 2022 एक ऐसा वर्ष है, जब मेरी माँ का जन्म शताब्दी वर्ष प्रारम्भ हो रहा है और इसी साल मेरे पिताजी का जन्म शताब्दी वर्ष पूर्ण हुआ है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी माँ के बारे में लिखा कि “मेरी माँ का जन्म मेहसाणा जिले के विसनगर में हुआ था। वढ़नगर से यह बहुत दूर नहीं है। मेरी माँ को अपनी माँ यानि मेरी नानी का प्यार नसीब नहीं हुआ था। एक शताब्दी पहले आई वैश्विक महामारी का प्रभाव बहुत वर्षों तक रहा था। उसी महामारी ने मेरी नानी को भी मेरी माँ से छीन लिया था। माँ तब कुछ ही दिनों की रही होंगी। उन्हें मेरी नानी का चेहरा, उनकी गोद कुछ भी याद नहीं है।”
दिसम्बर के महीने में प्रधानमंत्री मोदी को एक ओर जहाँ गुजरात चुनाव में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई, तो वहीं दूसरी ओर पारिवारिक मामलों में अपूरणीय क्षति भी हुई। साथ ही, छोटे भाई प्रहलाद मोदी की कार का भीषण एक्सीडेंट हुआ, जिसमें वे और उनका परिवार बाल-बाल बचे। एक ही समयावधि में दो विपरीत घटनाएँ दशानाथ की जन्मपत्रिका में स्थिति पर निर्भर करती है। प्रधानमंत्री मोदी की उपलब्ध जन्मपत्रिका के अनुसार वर्तमान में वे चन्द्रमा में सूर्य में शनि की प्रत्यन्तर्दशा के प्रभाव में हैं। यह प्रत्यन्तर्दशा 04 दिसम्बर, 2022 से 02 जनवरी, 2023 तक है। अन्तर्दशानाथ सूर्य एकादशेश होकर द्वादश भाव में सन्धिगत स्थिति में है, जो निरयणभाव चलित में एकादश भाव में ही स्थानान्तरित हो जाता है। प्रत्यन्तर्दशानाथ माता के भाव चतुर्थ का स्वामी होकर अपने भाव चतुर्थ से अष्टम में स्थित है और माता के स्वास्थ्य की दृष्टि से शुभ नहीं है। अन्तर्दशानाथ भी चतुर्थ से अष्टम भाव में स्थित होकर शुभ नहीं माना जा सकता। महादशानाथ चन्द्रमा माता का नैसर्गिक कारक है। इस प्रकार माता के स्वास्थ्य की दृष्टि से 04 दिसम्बर से 02 जनवरी के लिए अनुकूल नहीं था।
जहाँ तक गुजरात चुनाव में सफलता का प्रश्न है, तो इसी अन्तर्दशा एवं प्रत्यन्तर्दशा में वहाँ अभूतपूर्व सफलता मिली। अन्तर्दशानाथ और प्रत्यन्तर्दशानाथ दोनों ही एकादश भावस्थ होने के कारण चुनावों में सफलताकारक हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पूजनीया माताजी श्रीमती हीराबा को भगवान् अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें।